हिन्दू धर्म के अनुसार पांच मूल तत्वों में से एक, हमारे शरीर का बहुत बड़ा हिस्सा और अगर कुछ ना भी मानों तो विज्ञान के हिसाब से सभी जीवनों के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता।
मैने अपना शीर्षक का नाम जल जीवन ही क्यों रखा है? उसके पीछे भी एक विचार है, विचार यह है कि हम केवल समुद्री जीवों को ही जलीय जीव समझते हैं पर सच्चाई ये है कि हम सब भी जलीय जीव ही हैं। अगर जल ना हों तो पेड़ पौधे ना हो, पेड़ पौधे ना हो तो हवा, आकाश, अग्नि और भूमि भी ना हो और अगर ये पांच मूल तत्व ना हो तो जीवन की परिकल्पना भी मुमकिन ना हो।
जल का महिमा मंडन करने के लिए हम बहुत छोटी इकाई हैं लेकिन हमको जल का महत्व तो समझना ही होगा और इतना कि हमको पानी इसतेमाल करते समय ये एहसास रहे कि हम कितनी महत्वपूर्ण चीज का इस्तेमाल कर रहे है। हम कहते हैं एक मछली पूरा तालाब गंदा कर देती है पर हम भूल जाते हैं कि सबसे ज्यादा गंदगी तो हमने ही फैलाई हुई है।
कम से कम हम अगर जल को स्वच्छ नहीं रख सकते तो इतना तो बचा कर और स्वच्छ रख सकते हैं कि आने वाली पीढ़ी इस दुनिया में आ सके।
अपना और अपनों का खयाल रखें।
जल बचाए, स्वच्छ रखे, और सही मात्रा में इस्तेमाल करें।
जल दिवस की शुभकामनाएं।
0 टिप्पणियाँ