अमेरिका का घमंड (Corona Virus)

अमेरिका, आज के युग का सबसे शक्तिशाली देश, ना सिर्फ सुरक्षा की दृष्टि से अपितु स्वास्थ्य, शिक्षा, रोज़गार, अर्थवयवस्था, ज्ञान, विज्ञान, हर वह क्षेत्र जो एक देश को विकसित देश बनता है। यह उपलब्धि हासिल करने के लिए उसने  बहुत मेहनत की है और हर वह मार्ग अपनाया है जो नैतिक और अनैतिक दोनों सीमाओं को लांघता है। उपलब्धि मिलती है तो घमंड आ ही जाता है। 
दोस्तों, हमारी धार्मिक पुस्तकों के अनुसार घमंड बहुत ही सूक्ष्म होता है। कब किस बात पर हम घमंडी हो जाते हैं हमको पता भी नहीं चलता ।अमेरिका का घमंडी होना स्वाभाविक है परन्तु मेरी आपत्ति अमेरिका का कभी कभी अति घमंडी रवैया है। उसके इस अति घमंडी रवैये का भुगतान कभी कभी अमेरिकी  जनता को उठाना पड़ता है और कभी कभी पूरे विश्व को भी।
अमेरिका में एक बहुत अच्छी खूबी है। अमेरिका अपनी गलतियों से सीख लेकर उसको सुधारने में लग जाता है और इस सुधार कि प्रक्रिया की वजह से वह बहुत बार उन क्षेत्रों में विश्व का सर्वश्रेष्ठ बन कर उभरता है। वैसे कभी कभी वह अपनी गलतियों को बार बार दोहराता भी है जिसका खामियाजा किसी ना किसी को भुगतना ही पड़ता है।
मेरा स्पष्ट मानना है कि अगर अमेरिका ने परमाणु हथियार बना कर उनका प्रयोग जापान पर न किया होता तो आज विश्व का हर देश परमाणु हथियार बनाने की होड़ में ना लगा होता।
अब आते हैं तत्कालीन मुद्दे पर, अमेरिका में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ रही है। जब में यह लेख लिख रहा हूं तब तक अमेरिका में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 1,64,253 हो चुकी है जिनमें से मरने वालों की संख्या 3,167 तक पहुंच चुकी है। अमेरिका अपने आपको हर क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शित करने की कोशिश करता है उसी का नतीजा है कि आज वह दुनिया में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या में भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहा है। यह उपलब्धि केवल उसके अहंकार का ही नतीजा है, 
अहंकार अपने हेल्थ केयर व्यवस्था का, अहंकार अपनी अर्थवयवस्था का, अहंकार अपने सर्वश्रेष्ठ होने का।
कोरोना वायरस ने आज फिर एक बार अमेरिका का घमंड चूर चूर कर दिया। किसी महामारी को इतने हल्के में लेना और उसको एक सीमित बीमारी समझना या तो उसके अहंकार को दर्शाता है या फिर नासमझी को। अमरीकी जनता की ये हालत केवल अमेरिका के अपनी अर्थवयवस्था के मोह को दर्शाता है। जहां पर धन को लोगों से अधिक अहमियत दी जाती हो उस देश का सर्वनाश कभी ना कभी निश्चित है। राजा का राजधर्म है कि वह पहले अपनी जनता के जीवन की रक्षा करें बाद में दूसरे मुद्दों पर ध्यान दे। एक राजा का निर्णायक होना अति आवश्यक है और अगर उसमें यह गुण नहीं है तो वह राजा बनने के लायक ही नहीं है। राजा का केवल निर्णायक होना ही पर्याप्त नहीं है उसको यह भी पता होना चाहिए कि निर्णय किस समय और किस प्रकार से लिया जाए जिससे वह सुखदायक साबित हो। आज अमेरिका कि यह स्थिति है कि अगर उसके लिए "अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चूक गई खेत" के मुहावरे का इस्तेमाल किए जाए तो गलत नहीं होगा।
अगर अमेरिका ने पहले ही निर्णायक कदम उठाए होते तो कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या का आंकड़ा इतना नहीं होता। आज अमेरिका ही नहीं अपितु पूरा विश्व विषम परिस्थितियों से लड़ रहा है परन्तु इन परिस्थतियों में जहां कुछ देशों ने कमाल करके दिखा दिया है वहीं कुछ देशों का रवैया बहुत ही निराशा जनक है।
अपना और अपनों का ध्यान रखें।
अमेरिका इन परिस्थितियों में अगर अपने देश की जनता को अपनी अर्थवयवस्था से अधिक अहमियत दे तो शायद उसका सुपर पॉवर जैसा शीर्षक उसको अधिक अच्छा लगे।


For more information about corona virus click the link: https://www.who.int/emergencies/diseases/novel-coronavirus-2019

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