राम नवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी मनाया जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिवस के दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी का जन्म अयोध्या में हुआ था। लेकिन कितने लोगो को यह पता है कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को श्री रामचरितमानस का भी जन्मदिवस होता है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। रामचरितमानस की लोकप्रियता अद्वितीय है।
रामचरितमानस १५वीं शताब्दी में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित महाकाव्य है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने स्वयं रामचरित मानस के बालकाण्ड में वर्णित किया है कि उन्होंने रामचरित मानस को लिखने का आरम्भ अयोध्या में विक्रम संवत 1631 ( 1574 ईस्वी) को रामनवमी के मंगलवार दिन किया था। गीताप्रेस गोरखपुर के संपादक श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार के अनुसार रामचरितमानस को लिखने में गोस्वामी तुलसीदास जी को 2 वर्ष 7 माह 36 दिन का समय लगा था और उन्होंने इसे संवत् 1633 (1576 ईस्वी) के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में राम विवाह के दिन पूर्ण किया था। ऐसा कहा जाता है कि जिस क्षण रामचरितमानस को लिखना प्रारंभ किया गया उस समय अंतरिक्ष में ग्रह नक्षत्रों की वहीं स्थिति थी जो भगवान् श्री राम के जन्म दिवस और समय पर थी। यह अद्भुत महाकाव्य अवधी में लिखा गया है जिस कारण यह सरल है और जन-जन तक इसका प्रभाव है।
रामचरितमानस १५वीं शताब्दी में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित महाकाव्य है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने स्वयं रामचरित मानस के बालकाण्ड में वर्णित किया है कि उन्होंने रामचरित मानस को लिखने का आरम्भ अयोध्या में विक्रम संवत 1631 ( 1574 ईस्वी) को रामनवमी के मंगलवार दिन किया था। गीताप्रेस गोरखपुर के संपादक श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार के अनुसार रामचरितमानस को लिखने में गोस्वामी तुलसीदास जी को 2 वर्ष 7 माह 36 दिन का समय लगा था और उन्होंने इसे संवत् 1633 (1576 ईस्वी) के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में राम विवाह के दिन पूर्ण किया था। ऐसा कहा जाता है कि जिस क्षण रामचरितमानस को लिखना प्रारंभ किया गया उस समय अंतरिक्ष में ग्रह नक्षत्रों की वहीं स्थिति थी जो भगवान् श्री राम के जन्म दिवस और समय पर थी। यह अद्भुत महाकाव्य अवधी में लिखा गया है जिस कारण यह सरल है और जन-जन तक इसका प्रभाव है।
रामचरितमानस का आधार महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत रामायण को माना जाता है। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण को केवल भगवान् राम और उनके साथ कई पात्रों के जीवन के घटनाक्रमों के अनुसार लिखा है। जबकि तुलसीदास ने रामचरितमानस में भगवान् राम को भगवान विष्णु का अवतार मान कर उनकी महिमा का वर्णन किया है। इसलिए शायद हमें रामायण की तरह रामचरित मानस में भरत मिलाप के आगे की घटनाओं का वर्णन नहीं मिलता। रामायण और रामचरितमानस दोनों में ही भगवान् राम के चरित्र का वर्णन और गुणों की महिमा करते हैं
रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचन्द्र के निर्मल एवं विशद चरित्र का वर्णन किया है। यद्यपि परंतु दोनों ही महाकाव्यों के रचने वाले कवियों की वर्णन शैली में उल्लेखनीय अन्तर है।
श्री रामचरितमानस को तुलसीदास जी ने सात काण्डों में विभक्त किया है। इन सात काण्डों के नाम हैं - बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) और उत्तरकाण्ड। छन्दों की संख्या के अनुसार बालकाण्ड और किष्किन्धाकाण्ड क्रमशः सबसे बड़े और छोटे काण्ड हैं। रामचरितमानस में प्रत्येक हिंदू की अनन्य आस्था है और इसे हिन्दुओं का पवित्र ग्रन्थ माना जाता है।
श्री रामचरितमानस को तुलसीदास जी ने सात काण्डों में विभक्त किया है। इन सात काण्डों के नाम हैं - बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) और उत्तरकाण्ड। छन्दों की संख्या के अनुसार बालकाण्ड और किष्किन्धाकाण्ड क्रमशः सबसे बड़े और छोटे काण्ड हैं। रामचरितमानस में प्रत्येक हिंदू की अनन्य आस्था है और इसे हिन्दुओं का पवित्र ग्रन्थ माना जाता है।
रामचरित मानस की लोकप्रियता के पीछे एक पौराणिक कथा का वर्णन भी मिलता है। लेकिन उस कथा को जानने के लिए आपको मेरे अन्य लेख को पढ़ना होगा और इसके लिए आपको दिए हुए लिंक कर क्लिक करना होगा।
Source of Knowledge: Shri Ramcharitmanas, Wikipedia and others
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