तब्लीगी जमात के मरकज कार्यक्रम के बाद देश में कोरोना से संक्रमितों की संख्या में अचानक उछाल आ गया है जोकि एक चिंता के विषय है। परन्तु सरकार की कहीं ना कहीं कमी तो रही ही है जो उसको इस कार्यक्रम के बारे में भनक तक नहीं लगी।
आज सोशल डिस्टेंसग शब्द बहुत प्रचलित है परन्तु इसका मूल शब्द तो सोशल ही है जो यह दर्शाता है कि इस महामारी के खिलाफ युद्ध तो समाज और व्यक्तिगत मोर्चे पर ही लड़ा जाना है। इसमें कोई शक नहीं है कि कोरोना ने तब्लीगी जमात के उस स्वरूप को भी सामने ला दिआ है जिसमें उनके प्रमुख को यह अपील करते हुए स्पष्ट सुना जा सकता है जिसमें वह लोगों से मस्ज़िद में लोगों को एकत्रित होने के अपील कर रहे हैं।
निश्चित रूप से यह जमात प्रमुख की मूर्खता और अज्ञानता को दर्शाता है। कुछ लोगों को यह भी आपत्ति है कि इस कार्यक्रम को धर्म से जोड़ कर क्यों देखा जा रहा है तो इसका उत्तर भी स्पष्ट है कि यह एक धार्मिक कार्यक्रम था और धर्म के नाम पर ही लोगों को सोशल डिस्टेंसग और सरकार द्वारा दिये गए निर्देशों को उलंघन करने के लिए उकसाया जा रहा था।
इसमें धर्म को लाने की कोई बात ही नहीं है क्योंकि यह कार्यक्रम, धर्म से स्वतः ही जुड़ा हुआ है।
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि ऐसे धार्मिक कार्यक्रमों का इस महामारी को प्रसारित करने में विशेष योगदान रहा है। ना सिर्फ भारत में अपितु विश्व के अन्य देश जैसे मलेशिया, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, ईरान में इन धार्मिक कार्यक्रमों के इस महामारी के फैलने की प्रमुख वजहों में से एक माना जा रहा है।
अपने और अपनों का ध्यान रखें।
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