प्रिये मित्रों आज हिन्दू धर्म के लिए विशेष दिन है क्योंकि आज राम नवमी है यानि कि मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी जन्मदिवस है। राम नवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी मनाया जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिवस के दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था।
इस बार का राम नवमी का त्यौहार बहुत ही विसम परिस्थितियों में मनाया जा रहा है क्योंकि कोरोना महामारी के प्रकोप से पूरे विश्व में हाहाकार मचा हुआ है। इस बार का रामनवमी का त्यौहार भारतवासियों के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि 9 नवम्बर 2019, शनिवार सुबह उच्चतम न्यायालय का 134 साल पुराने अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया था। चीफ जस्टिस ने कहा था कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है और हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है। संविधान पीठ द्वारा दिए गए 1045 पन्नों के फैसले ने देश के इतिहास के सबसे अहम और एक सदी से ज्यादा पुराने विवाद का अंत कर दिया था। अंततः रामलला की जीत हुई वो भी पूरी मर्यादा के साथ। आज अगर महामारी ना होती तो अयोध्या ही नहीं अपितु समूचे भारत आज इसका ज़ोरदार उत्सव मनाया जाता।
भगवान मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी के जीवन, स्वभाव, संस्कृति और विभिन्न पहलुओं के विषय में लिखने और समझने के लिए हम बहुत छोटी इकाई हैं। रामायण महाकाव्य आदि कवि, ब्रह्मऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य, स्मृति का वह अंग है जो अपने हर श्लोक से भगवान् श्री राम जी के चरित्र का गुणगान करता है । रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं, इसके २४,००० श्लोक हैं। इसके अतिरिक्त गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। रामचरितमानस की लोकप्रियता अद्वितीय है। रामचरितमानस को तुलसीदास ने सात काण्डों में विभक्त किया है। इन सात काण्डों के नाम हैं - बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) और उत्तरकाण्ड।
भारत में सुन्दर काण्ड बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। लोगों द्वारा मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है। मैं स्वयं भी मंगलवार और शनिवार को सुन्दरकाण्ड का पाठ करता हूं और फलस्वरूप मैने इसके चमत्कारी प्रभावों को अपने जीवन में बहुत बार महसूस किया है। इसके अतिरिक्त ना जाने कितनी असंख्य रामायण विभिन्न लेखकों द्वारा लिखीं गईं हैं
हरि अनन्त, हरि कथा अनंता। इसके अतिरिक्त एक रामायण ओर विख्यात है। सर्वप्रथम श्री राम की कथा भगवान श्री शंकर ने माता पार्वती जी को सुनाया था। उस कथा को एक कौवे ने भी सुन लिया। उसी कौवे का पुनर्जन्म काकभुशुण्डि जी के रूप में हुआ। काकभुशुण्डि को पूर्वजन्म में भगवान शंकर के मुख से सुनी वह राम कथा पूरी की पूरी याद थी। उन्होने यह कथा अपने शिष्यों को सुनाया। भगवान श्री शंकर के मुख से निकली श्रीराम की यह पवित्र कथा अध्यात्म रामायण के नाम से विख्यात है।
श्रीराम-कथा मुनि वेद व्यास जी द्वारा रचित महाभारत में भी 'रामोपाख्यान' के रूप में आरण्यकपर्व में वर्णित है।
बौद्ध परम्परा में दशरथ जातक, अनामक जातक तथा दशरथ कथानक नामक तीन जातक कथाएँ उपलब्ध हैं और जैन साहित्य में विमलसूरि कृत पउमचरियं, आचार्य रविषेण कृत पद्मपुराण, स्वयंभू कृत पउमचरिउ, रामचंद्र चरित्र पुराण तथा गुणभद्र कृत उत्तर पुराण श्री राम का गुणगान करते हैं जैन परंपरा के अनुसार भगवान् श्री राम का मूल नाम 'पद्म' है।
वर्तमान में प्रचलित बहुत से राम-कथाओं में आर्ष रामायण, अद्भुत रामायण, कृत्तिवास रामायण, बिलंका रामायण, मैथिल रामायण, सर्वार्थ रामायण, तत्वार्थ रामायण, प्रेम रामायण, संजीवनी रामायण, उत्तर रामचरितम्, रघुवंशम्, प्रतिमानाटकम्, कम्ब रामायण, भुशुण्डि रामायण, अध्यात्म रामायण, राधेश्याम रामायण, श्रीराघवेंद्रचरितम्, मन्त्र रामायण, योगवाशिष्ठ रामायण, हनुमन्नाटकम्, आनंद रामायण, अभिषेकनाटकम्, जानकीहरणम् आदि मुख्य हैं।
विदेशों में भी तिब्बती रामायण, पूर्वी तुर्किस्तानकी खोतानीरामायण, इंडोनेशिया की ककबिनरामायण, जावा का सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग, पातानीरामकथा, इण्डोचायनाकी रामकेर्ति (रामकीर्ति), खमैररामायण, बर्मा (म्यांम्मार) की यूतोकी रामयागन, थाईलैंड की रामकियेनआदि रामचरित्र का बखूबी बखान करती है।
महाकवि कालिदास, भास, भट्ट, प्रवरसेन, क्षेमेन्द्र, भवभूति, राजशेखर, कुमारदास, विश्वनाथ, सोमदेव, गुणादत्त, नारद, लोमेश, मैथिलीशरण गुप्त, केशवदास, गुरु गोविंद सिंह, समर्थ रामदास, संत तुकडोजी महाराज आदि कवियों तथा संतों ने अलग-अलग भाषाओं में राम तथा रामायण के दूसरे पात्रों के बारे में काव्यों/कविताओं की रचना की है। धर्मसम्राट स्वामी करपात्री ने 'रामायण मीमांसा' की रचना करके उसमें रामगाथा को एक वैज्ञानिक आधारित विवेचन दिया।
भारत मे स्वातंत्र्योत्तर काल मे संस्कृत में रामकथा पर आधारित अनेक महाकाव्य लिखे गए हैं उनमे रामकीर्ति,रामश्वमेधीयम, श्रीमद्भार्गवराघवीयम ,जानकीजीवनम,सीताचरितं,रघुकुलकथावल्ली ,उर्मिलीयम, सीतास्वयम्बरम, रामरसायणं,सीतारामीयम,साकेतसौरभं आदि प्रमुख हैं।
मैं यह स्पष्ट पर देना चाहता हूं कि इस लेख में अधिकांश जानकारी मैंने विकिपीडिया वेबसाइट से जुटाई है।
भारत ही नहीं नेपाल, कंबोडिया, तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान, इंडोनेशिया, श्री लंका, म्यांमार, थाईलैंड आदि देशों में भगवान श्री राम की महिमा का गुणगान और व्याखान अनादि काल से होता आया है।
भगवान् श्री राम की महिमा और चरित्र इतना ऊंचा है कि अगर आप उनको भगवान् ना भी मानें और उनको केवल इंसान के रूप में आत्मसार कर लें तो आपके भी चरित्र के स्तर उच्च कोटि का हो जाएगा।
अपने और अपनों मा ध्यान रखें। धन्यवाद!
जय श्री राम!
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