गांव की याद

तेरे बड़े शहरों की भीड़ में, मैं पीछे छूट जाता हूं।
अपने गांव को छोड़कर, मैं जीना भूल जाता हूं।
तेरे शहरों के धुएं में, मैं गुम कहीं हो जाता हूं।
अपने गांव को छोड़कर, मैं धुंधला सा हो जाता हूं।
- वासुदेव

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