अमेरिका, WHO की फंडिंग रोकेगा?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को कहा कि "हम विश्व स्वास्थ्य संगठन की इज्जत करते हैं लेकिन उन्होंने लंबे समय तक इस मामले में सही जानकारी नहीं दी। उन्होने हर मामले में गलत जानकारी साझा की। उन्होंने कदम कदम पर कहा कि यह कोई बड़ी समस्या नहीं है और अमेरिका के द्वारा लिए गए कदमों की आलोचना की। हम उन्हें फंडिंग करते हैं और इस बारे में हमें सोचना होगा। उन्होंने आरोप लगाते हुए  यह भी कहा कि मैने सोशल मीडिया पर पढ़ा है कि WHO  चीन केंद्रित है। हम उन्हें फंड करते हैं लेकिन ऐसा लगता है कि  वो चीन के पक्ष में रहते हैं। उन्होंने कहा पहले इसकी जांच की जाएगी उसके बाद इस दिशा में देखेंगे कि उनकी फंडिंग रोकी जाए या नहीं।"
Contributors of WHO
अगर देखा जाए तो अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बातों में सत्यता तो है परन्तु ऐसे आरोपारोपण करके वह अपनी नाकामियों को नहीं छुपा सकते। सवाल यह भी है कि इस संकट के समय में WHO को अमरीका द्वारा दी जा रही वित्तिय हिस्सेदारी रोकाना सही कदम होगा। लेकिन ऐसा लगता है कि अमरीकी राष्ट्रपति इस कदम को लेने का मन बना चुके हैं जिसका दुषपरिणाम दूसरे गरीब और विकासशील देशों को भुगतना पड़ेगा। WHO में अमेरिकी सरकार की 14.76 % हिस्सेदारी है। इसके अतरिक्त अमरीकी संस्था बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन  9.76% की हिस्सेदारी रखता है। अमेरिका की ओर भी बहुत सी संस्थाएं हैं जो WHO में अपना योगदान देती हैं। इसके मुकाबले चीन 0.21% हिस्सेदारी के साथ अंशदाताओं के सामने कहीं खड़ा नहीं होता है। यहां तक कि भारत की 0.41 % हिस्सेदारी भी चीन से दुगनी है। ऐसे में अमेरिका का यह सोचना कि WHO चीन के प्रति पक्षपात पूर्ण है, उपयुक्त है।
चीन और WHO को जिम्मेदारी तो लेनी ही होगी इसके अतिरिक्त उनके पास कोई विकल्प नहीं है।




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ