कपड़े

एक चीखता हुआ दुप्पटा है मेरे पास,
एक रोती हुई फ्रॉक,
कुछ खून में रंगी साड़ी हैं अगर
तो कुछ काले रंग के फटे बुर्खे भी
तुम जिसे कपड़े समझकर ओढ़ती हो
वो उन हैवानों की नज़र देखती नहीं
चीर देती है। ” 
- दृष्टि


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